जयसियाराम !
प्रत्येक रात्रि एक प्रलय है प्रभात एक नयी सृष्टि , शास्त्र ऐसा कहते हैं। अतः अपने प्रत्येक दिन के प्रयोजन और उसकी उपदेयता का विचार नित्य करना चाहिये। ये विचार आपको अधिक अनुशासित , प्रासंगिक और सार्थक जीवन की ओर प्रेरित करेगा।

भाषा भाव से उत्पन्न होती है और उसका स्वरूप निर्माण संस्कृति से होता है। हिन्दी मात्र संवाद का माध्यम ही नहीं यह भारतीय लोकजीवन , संस्कृति और आकांक्षाओं की अभिव्यक्ति भी है। हिन्दी हिन्दवासियों के लिये अस्मिता का चिह्न है। हिन्दी अपनायें , हिन्दुस्थान का गौरव बढ़ायें।